शब्द अमृत से निकल जाएँ मन के सागर से
उसके लिए कोई हरि सा संचालक चाहिए
तीव्र विष न छीने स्वच्छ चिंतन को
उसके लिए कोई शिव सा धारक चाहिए
हर मुंगे से मोती कहाँ मिलता है
उसके लिए कोई माँ सा पालक चाहिए
हर बालक कृष्ण कहाँ बनता है
उसके लिए सान्दिपिनी सा प्रशिक्षक चाहिए
हर सपने कहाँ इन्द्रधनुषी होते हैं
सूरज और वर्षा दोनों का साथ चाहिए
सूरज और वर्षा दोनों का साथ चाहिए
उसके लिए कोई हरि सा संचालक चाहिए
तीव्र विष न छीने स्वच्छ चिंतन को
उसके लिए कोई शिव सा धारक चाहिए
हर मुंगे से मोती कहाँ मिलता है
उसके लिए कोई माँ सा पालक चाहिए
हर बालक कृष्ण कहाँ बनता है
उसके लिए सान्दिपिनी सा प्रशिक्षक चाहिए
हर सपने कहाँ इन्द्रधनुषी होते हैं
सूरज और वर्षा दोनों का साथ चाहिए
सूरज और वर्षा दोनों का साथ चाहिए
बहुत सुन्दर शब्द रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteआप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
Very appealing couplets . Thanks.
ReplyDeleteaapka bahut aabhaar..
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