मुस्कुराता हुआ चेहरा ,गम से दूर कर दे
ये ज़िन्दगी जब भी बहुत मजबूर कर दे
हर वक़्त मौकतल में ही जैसे खड़ा मिला
मेरी दास्ताँ न दश्त में कसूर कर दे
मेरे मौला मेरे दामन में ज़रा ज़रा देना
कब माँग थी मेरी तू भरपूर कर दे
तश्वीर मैं बनाऊंगा तू करना ये इनायत
अपनी नज़र का इसमें थोडा नूर कर दे
नील सागर से न मांगे मोतियों की भीख
उसके आँख में वफ़ा का गुरूर कर दे
ये ज़िन्दगी जब भी बहुत मजबूर कर दे
हर वक़्त मौकतल में ही जैसे खड़ा मिला
मेरी दास्ताँ न दश्त में कसूर कर दे
मेरे मौला मेरे दामन में ज़रा ज़रा देना
कब माँग थी मेरी तू भरपूर कर दे
तश्वीर मैं बनाऊंगा तू करना ये इनायत
अपनी नज़र का इसमें थोडा नूर कर दे
नील सागर से न मांगे मोतियों की भीख
उसके आँख में वफ़ा का गुरूर कर दे
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ReplyDeletekripya apni email id bhejen
ReplyDeleteनूर ऐसे ही बरसता रहे आपकी रचनाओं में..
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