तपकर धुप में भी कहाँ नसीम-ए-शाम मिलता है
हैफ!मुल्सफी है कैसी, न कोई अब काम मिलता है
काँटों को तो कोई पूछता नहीं है पतझर में ,मगर
गुल के टूटने का उस पे ही देखो इलज़ाम मिलता है
मुहब्बत करने वाले यूँ तो यहाँ कम ही हैं लेकिन
जो करते भी हैं उनको सिर्फ इक जाम मिलता है
हैफ!मुल्सफी है कैसी, न कोई अब काम मिलता है
काँटों को तो कोई पूछता नहीं है पतझर में ,मगर
गुल के टूटने का उस पे ही देखो इलज़ाम मिलता है
मुहब्बत करने वाले यूँ तो यहाँ कम ही हैं लेकिन
जो करते भी हैं उनको सिर्फ इक जाम मिलता है
बहुत दूर उड़ते हैं पंछी ,पिंजरे का कारोबार बहुत है
गर सुस्ता लें बगिये में, तो कैद का अंजाम मिलता है
मेरा हाल-ए-दिल ना पुछा करो यूँ रुक रुक कर
जिंदगानी में यहाँ किसको कभी आराम मिलता है
जिंदगानी में यहाँ किसको कभी आराम मिलता है
बहुत सुन्दर नज़्म्।
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDelete