Saturday, July 7, 2012

ले चलो

मेरे ख्वाब मुझे दूर बहुत दूर ले चलो ,
जहाँ "मैं " न रहे कहीं ,ओ ! हुज़ूर ले चलो 

या बना दो इक तश्वीर ,बसा दो इक शहर 
तुम मेरे रंग और काग़ज़ बदस्तूर ले चलो 

तुम जाना लहर में बिन नाव , लेकिन मेरे अज़ीज़
अपने साथ मेरी दुआयें भरपूर ले चलो

तुम मेरे गुरूर को फ़ना कर दो मगर सुन लो
मेरे घर में है रब का ज़रा सा नूर , ले चलो

नीम और मधु में कोई भेद क्या हो "नील "
है हर चरागारी हमें मंज़ूर ,ले चलो 

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